NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के फायदे और नुकसान!
NRC से कितना फायदा कितना नुकसान ?
NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स) से फायदे और नुकसान आदि की जानकारी
NRC मतलब Natinal Register of Citizens. इस रजिस्टर में नागरिकों के नाम, पते और फोटो शामिल किए जाते हैँ। इसमें उन सभी भारतीय नागरिकों का नाम शामिल होगा, जो 2019 में संशोधित नागरिकता अधिनियम (CAA) 1955 के अनुसार है।
यह अभी तक लागू (असम राज्य को छोड़कर) नहीं किया गया है। इससे पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होंगे, उन्हें अवैध नागरिक माना जायेगा।
भारत में संशोधित नागरिकता अधिनियम और एन.आर.सी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए है, प्रदर्शनकारियों को चिंता है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के आगामी संकलन का उपयोग एक समुदाय को भारतीय नागरिकता से वंचित करने के लिए किया जा सकता है। यहाँ पे NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के संभावित फायदे और नुकसान के बारे में बताया गया है.
NRC के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें - NRC के बारे में संपूर्ण जानकारी
NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स) से फायदें:
माना जाता है कि यदि अवैध नागरिकों की पहचान कर उनके अपने देशों में वापस भेजे जाते हैं तो यहां संसाधनों के दोहन भार कम होगा। इसके साथ यहां के मूल निवासियों के लिए रोजगार अवसर भी बढ़ेंगे, भूमि खाली होगी जिसका सीधा असर राज्य के सामाजिक, आर्थिक और व्यवसायिक ढ़ांचे पर पड़ेगा।
- एनआरसी आगे जनसंख्या को नियंत्रित करने में भी मदद करेगा क्योंकि अवैध प्रवासी राष्ट्रीय जनसंख्या के एक बड़े हिस्से में योगदान करते हैं।
- गैरकानूनी प्रवास के कारण होने वाले सुरक्षा संबंधी खतरों की जाँच की जा सकेगी।
- इसलिए, अपडेटेड NRC उन सभी वास्तविक भारतीय नागरिक, जिनको अवैध प्रवास के कारण नुकसान उठाना पड़ा है के लिए एक वरदान है।
NRC से नुकसान:
शेष भारत में नागरिकता देने के लिए सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को कट-ऑफ डेट रखा है। मतलब यह है कि इस तारीख से पहले भारत में इन तीन देशों से आने वाले 6 धार्मिक समुदायों के सभी शरणार्थी अगले साल की शुरुआत से भारत की नागरिकता पाने के दावेदार बन जा सकतें हैं।
इसलिए नागरिकता के मामले में असम में जो कानून लागू होता है, वह शेष भारत में लागू नहीं होता और शेष भारत में जो कानून लागू होता है, वह असम में लागू नहीं होता। जब असम जैसे छोटे राज्य में nrc को ठीक से लागू नहीं किया जा सकता, तो देश के अन्य हिस्सों में इसे कैसे लागू किया जा सकता है? ऐसे में और ख़राब स्थिति पैदा हो सकती है.
- हाल के विरोध प्रदर्शनों के जवाब के रूप में, सरकार ने कई स्थानों पर इंटरनेट, मेघालय और पश्चिम बंगाल को बंद कर दिया है। यह व्यवसायों के लिए एक बड़ी समस्या का कारण बनता है क्योंकि इंटरनेट के बिना कुछ भी काम नहीं करता है।
- जो NRC का हिस्सा नहीं हैं उन्हें बांग्लादेश सरकार द्वारा स्वीकार करने तक उन लोगों को रखने के लिए निरोध केंद्र (डिटेंशन कैंप) बनाए जा रहे हैं। एक कैंप की लागत लगभग करोड़ों में है, जिसमे 3000 लोग रहते है। असम में 19 लाख लोग nrc का हिस्सा नहीं हैं। तो जाहिर है कि ऐसे कैंपो पर कितना पैसा बर्बाद होगा।
NRC के लिए स्वीकार्य दस्तावेज:
जन्मस्थान और जन्मतिथि से संबंधित कोई भी दस्तावेज इसके लिए जरुरी होगा। वैसे अभी nrc में जरुरी दस्तावेज के बारे में फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन संभावना है कि आधार, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, लाइसेंस, बीमा के पेपर, SLC, घर और जमीन से संबंधित दस्तावजे या इसी प्रकार के अन्य दस्तावेज को इसमें शामिल किया जा सकता है।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में लोगों की पूरी डिटेल शामिल करने का कार्य सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है और अब तक इस रजिस्टर का अंतिम स्वरूप जारी नहीं किया गया है।
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