थर्ड पार्टी और कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस क्या होता है! | Third Party Vs comprehensive Insurance in Hindi

जानिये, गाड़ी का इंश्योरेंस कितने प्रकार के होते हैं! थर्ड पार्टी और OD इंश्योरेंस में अंतर!


क्यों जरुरी है वाहन बीमा?

भले ही आप बड़ी कुशलता से गाड़ी चला लेते हों, लेकिन बिमा कराना जरुरी है क्योंकि यह प्राकृतिक आपदा या चोरी और दुर्घटना में वाहन को हुए नुकसान की भरपाई करता है। साथ ही इसके द्वारा दूसरे व्यक्ति, वाहन या संपत्ति को हुये नुकसान की भरपाई भी की जाती है।


वाहन बीमा न सिर्फ आपको आर्थिक नुकसान की भरपाई करता है, बल्कि कई तरह की कानूनी मुश्किलों से भी बचाता है। वाहन खरीदने वाले हर शख्स के लिए 'थर्ड पार्टी' मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना अनिवार्य है। यह कार, मोटरसाइकिल या कमर्शियल गाड़ी तीनों के मामले में लागू होता है। 


आइए जानते हैं डिटेल में - गाड़ी का इंश्योरेंस कितने तरह के है, इसका क्या मतलब है, और हमें कौन सी Insurance Policy लेनी चाहिए।


Third Party Vs comprehensive Insurance in Hindi


थर्ड पार्टी वाहन बिमा (Third Party Insurance meaning)

यदि आपके वाहन से किसी व्यक्ति या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुँचता है तो आप कानूनी रूप से भरपाई करने के लिए उत्तरदायी होते हैं। ऐसे में 'Third Party Insurance' काम में आता है। इस स्थिति में थर्ड पार्टी मोटर बीमा होने पर, बीमा कंपनी आपकी ओर से दूसरे व्यक्ति के नुकसान की भरपाई करती है। गाड़ी का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं होने के सुरत में, सारे नुकसान की भरपाई आपको अपनी जेब से करनी पड़ती है।

  • आपके खुद को वाहन को हुए नुकसान का मुआवजा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी से नहीं मिलता। इसके लिए आपको Own Damage Insurance लेना पड़ता है, जोकि कंप्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर ही मिलता है।
  • थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ आपको अनिवार्य व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (Personal Accident Insurance) भी मिलता है। इससे वाहन मालिक की मौत या स्थायी विकलांगता की स्थिति में 15 लाख रुपए तक मुआवजा मिलता है।


ओन डैमेज / OD वाहन बिमा (OD insurance meaning)

सिर्फ वाहन को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जो पॉलिसी खरीदी जाती है, उसे 'Own Damage Policy' कहते है। इसे कुछ लोग फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस भी कहते है। 


इसमें इंश्योरेंस कंपनी वाहन को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देती है. IRDAI के अनुसार, ओन डैमेज धारा के तहत निम्नलिखित हालातों में नुकसान की भरपाई किये जातें है:

  • चोरी, डाका
  • सफर के दौरान दुर्घटना
  • आग, विस्फोट, बिजली गिरना
  • भूकम्प, बाढ़, तूफान, चक्रवात, ओलावृष्टि, बर्फबारी
  • रेल/सड़क, अंतर्देशीय जलमार्गों, लिफ्ट, एलिवेटर या वायु द्वारा 
  • भूस्खलन/चट्‌टानें खिसकना
  • दंगा और हड़ताल
  • दुर्भावनापूर्ण कृत्य
  • आतंकवादी कृत्य


कॉम्प्रिहेंसिव वाहन बिमा (Comprehensive insurance meaning)

इसे पैकेज बीमा पॉलिसी भी कहते हैं। इसमें आपके वाहन से किसी दूसरे वाहन, व्यक्ति और संपत्ति को नुकसान का मुआवजा तो बीमा कंपनी भरती ही है, आपके खुद के वाहन को हुए नुकसान की भरपाई भी बीमा कंपनी करती है। मतलब आपको Third party insurance और Own Damage Insurance, दोनों का फायदा कंप्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में मिलता है। 


वाहन बिमा नियम (Motor Insurance Rule in Hindi)

  • 1 अगस्त से नया फोर व्हीलर लेने पर 3 साल और टूव्हीलर लेने पर 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना जरूरी होगा. वहीं ओन डैमेज कवर के लिए दो विकल्प होंगे। 
  • पहला, ग्राहक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ बंडल में एक साल का ओन डैमेज कवर ले सकता है और दूसरा थर्ड पार्टी व ओन डैमेज के लिए दो अलग-अलग पॉलिसी ले सकता है.
  • IRDAI ने 1 जनवरी 2019 से पर्सनल एक्सीडेंट बिमा को मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से अलग कर दिया है।


व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा (Personal Accident Insurance)

सड़क दुर्घटना में ड्राईवर की हुई शारीरिक क्षति के लिए 'व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा' काम आता है। इसमें चालक, सहयात्री के अलावा अन्य पैसेंजर्स को भी शामिल किया जा सकता है। हादसे में मालिक चालक (Owner Driver) की मौत या स्थायी विकलांगता की स्थिति में उसके परिवार वालों को मुआवजा मिलता है। Owner Driver वह होता है, जिसके नाम पर गाड़ी रजिस्टर्ड होती है और बीमा पॉलिसी होल्डर भी हो।


1 जनवरी 2019 से, IRDAI ने अनिर्वाय पर्सनल एक्सीडेंट को मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से अलग कर दिया है। मतलब, वाहन मालिक चाहे तो कार खरीदते वक्त मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी + पर्सनल एक्सीडेंट कवर दोनों ले सकता है, या फिर जनरल पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी को अलग से किसी अन्य कंपनी से ले सकता है। 


ऐसे में अगर किसी ने पहले से ही 15 लाख या इससे ज्यादा का पर्सनल एक्सीडेंट कवर लिया हुआ है तो उसे मोटर इंश्योरेंस के तहत कंपल्सरी पर्सनल कवर लेने की जरूरत नहीं है। 


अगर, आपने पैकेज या कॉम्प्रिहेंसिव बीमा का विकल्प चुना है तो कुछ अतिरिक्त व सहायक बीमा भी इसमें जुड़वा कर फायदे बढ़ा सकते हैं। इन्हें एड ऑन (Add-ons) या Riders कहते हैं। जैसे…

  1. इंजन प्रोटेक्शन: गाड़ी के इंजन को नुकसान पहुंचने पर उसकी रिपेयरिंग या बदलने के लिये।
  2. जीरो डेप्रिसिएशन इंश्योरेंस (Zero dep insurance): बीमा क्लेम करते समय आपकी गाड़ी की कीमत न घटाए जाने के लिये यह बिमा लिया जा सकता है। 
  3. रोडसाइड असिस्टेंस: दुर्घटना होने पर बीमा कंपनी की ओर से मौके पर ही मदद पहुंचाने के लिये। 
  4. एक्सेसरीज कवर: गाड़ी के एक्सेसरीज को नुकसान पहुंचने पर रिपेयरिंग या बदलने के लिये।
  5. नो क्लेम बोनस प्रोटेक्शन: दो क्लेम प्राप्त कर लेने के बावजूद फायदा जारी रखने के लिये।
  6. रिटर्न टू इनवॉयस: कार चोरी हो जाने या पूरी तरह नष्ट हो जाने पर, रसीद में दर्ज पूरी कीमत पाने के लिये यह बिमा लिया जाता है।


अभी तक हमने 'Policy' की विशेषता के अनुसार इंश्योरेंस का प्रकार जाना। वाहन की कैटेगरी के अनुसार भी इंश्योरेंस के विभिन्न प्रकार है, जिसके बारे में निचे बताया गया है।


गाड़ी की क्लास के हिसाब से, वाहन बीमा तीन प्रकार के होते हैं:

  1. दो-पहिया वाहन बीमा (Two Wheeler Insurance) 
  2. कार बीमा (Car Insurance) 
  3. व्यावसायिक वाहन बीमा (Commercial Vehicle Insurance) 

टू-व्हीलर इंश्योरेंस: 

जैसा नाम से स्पष्ट है, इसके अंतर्गत दो-पहिया वाहन (मोटरसाइकिल, स्कूटर) का बिमा किया जाता है। बीमा कंपनियों को 'टू-व्हीलर इंश्योरेंस' के साथ 'व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा' भी देना अनिवार्य होता है। इसमें अधिक प्रीमियम वाला प्लान सेलेक्ट कर, आप सवारि के लिए भी बीमा ले सकते हैं।


नये नियम के अनुसार, नयी बाइक लेते समय 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना अनिर्वाय है। वहीं ओन डैमेज के लिए आपको 2 आप्शन मिलेंगे, पहला बंडल में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ एक साल का ओन डैमेज पॉलिसी (5 Yr 3rd Party + 1 Yr OD ) ले या फिर थर्ड पार्टी व ओन डैमेज के लिए दो अलग-अलग पॉलिसी ले।


कार इंश्योरेंस: 

इससे निजी 4-पहिया वाहन (कार, जीप) का बिमा किया जाता है। नये चार पहिया लेते समय 3 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना अनिर्वाय है। कई कंपनियां Roadside assistance की सुविधा भी उपलब्ध कराने लगी हैं। इसमें मौके पर ही (दुर्घटना वाले स्थान पर) पहुंचकर मदद कर दी जाती है।


कमर्शियल व्हीकल इंश्योरेंस: 

ऐसे सभी वाहन जिनका उपयोग व्यावसायिक कार्य के लिए होता है, उनका बीमा व्यावसायिक वाहन बीमा के तहत होता है। जैसे कि ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, एंबुलेंस, बस, ट्रक, लोडर, कृषि वाहन आदि।


कब और किन स्थितियों में बीमा पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता?

बीमा कंपनियां कुछ पूर्वनिर्धारित परिस्थितियों में दावा (बिमा क्लेम) देने से मना कर देती हैं। यहां नीचे कुछ मौके दिए गए हैं जिन्हें वाहन बीमा में कवर नहीं किया जाता।

  • अगर चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो 'Insurance Company' किसी भी प्रकार का क्लेम देने के लिए बाध्य नहीं होती।
  • वाहन की उम्र के कारण होने वाली टूट-फूट के लिए कोई क्लेम नहीं मिलता।
  • ड्रिंक एंड ड्राइव, मतलब शराब के प्रभाव में दुर्घटना या क्षति होने पर कोई भी कंपनी बिमा क्लेम पर विचार नहीं करती।
  • इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल पार्ट टूटने को कवर नहीं किया जाता है।
  • यदि वाहन गैरकानूनी कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है, तो मुआवजा के लिए कोई दावा माना नहीं जाता।


नोट: कोई भी सहायक बीमा (Add On), आप कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस लेने पर ही जुड़वा सकते हैं। अगर सिर्फ 3rd पार्टी इंश्योरेंस कराया है तो दुर्घटना बीमा को छोड़कर, अन्य कोई भी Add On अलग से नहीं जुड़वा सकते है।


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