डर लगे तो क्या करें! जानिये Phobia का इलाज कैसे होता है?

जानिये, मानसिक डर को निकालने के उपाय और फोबिया के प्रकार (Types of phobia in hindi).


डर क्या होता है - डर हमारी वो भावना है जो किसी खतरे या आशंका के कारण हमारे मन में जागृत होती है। डर हमारे किसी प्यारी चीज़ के छीन जाने, खो जाने या दूर चले जाने की फीलिंग को भी कहा जा सकता है जैसे अपने प्रियजनों को खोने का डर, मृत्यु का डर, धन-दौलत के लूट जाने का डर आदि। अगर आप यह कहते हैं कि आप किसी भी इंसान या वस्तु से नहीं डरते तो आप सही नहीं है। हर मनुष्य के अंदर किसी न किसी बात का डर होता ही है।

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हालाँकि हमारे कुछ डर जायज़ भी हैं जैसे आग में हाथ न डालने का डर क्योंकि हमें पता है कि उससे हम जल सकते हैं, शेर या किसी हिंसक जानवर के सामने न जाने का डर क्योंकि वो हमें अपना शिकार बना सकते हैं। ये बहुत सामान्‍य बात है और कोई बीमारी नहीं है। लेकिन जब डर जरुरत से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक विकार का रूप ले लेता है, इस को 'फोबिया' कहते हैं। 

जरुरत से ज्यादा और बिना किसी कारण के डरना फोबिया का लक्षण होता है। अगर कोई फोबिया से पीड़ित हैं, तो जिस चीज से वो डरता हैं उसका सामना होने पर उसको बहुत ज्यादा डर लगेगा और हो सकता है कि वो नर्वस भी हो जाये।

फोबिया के प्रकार (Types of phobia) :

  1. एक्रोफोबिया (Acrophobia) - ऊंचाइयों से डर
  2. हाइड्रोफोबिया (Hydrophobia) - पानी से डर
  3. एयरोफोबिया (Aerophobia) - उड़ान का डर
  4. ड्राइविंगफोबिया (Drivingphobia) - ड्राइविंग का डर
  5. एस्ट्रोफोबिया (Astraphobia) - गड़गड़ाहट और बिजली का डर
  6. ऑटोफोबिया (Autophobia) - अकेले होने का डर
  7. क्लस्ट्रोफोबिया (Claustrophobia) - सीमित या भीड़ भरे स्थानों का डर
  8. हीमोफोबिया (hemophobia) - खून का डर
  9. अरक्नोफोबिया (arachnophobia) - मकड़ियों का डर
  10. ओफिडियोफोबिया (Ophidiophobia) - सांपों का डर
  11. ज़ोफोबिया (Zoophobia) - जानवरों का डर





हमारे अंदर के अधिकतर डर बेमतलब के होते हैं। तो चलिये जानते है क्या है ऐसे डर के कारण और इलाज। अगर डर लगे तो सबसे पहले क्या करना चाहिए।

डर लगे तो क्या करें?

  • सबसे पहले गहरी और लंबी साँस ले 5 से 10 मिनट तक।
  • सकारात्मक सोचे।
  • डर का सामना करें।
  • आगे का न सोचे।
  • योग या ध्यान करें।
  • व्यस्त रहें।


हमेशा सकारात्मक सोचे :

ऐसा कहा जाता है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है और यह बिलकुल सही भी है। बचपन से ही कुछ चीज़ें हमारे दिमाग में डाल दी जाती हैं जिन से हमें डर लगने लगता है जैसे भूत, चुड़ैल, अंधेरा आदि। उसके बाद हम असफलता, दुर्घटना, कुछ खो जाने जैसी चीज़ों से डरने लगते हैं। लेकिन, आपकी सकारात्मक सोच डर को दूर करने में आपकी मदद कर सकती है। खुद भी सकारात्मक रहे, ऐसे लोगों के साथ रहें जिनकी सोच पॉजिटिव हो। इसके साथ ही सकारात्मक किताबें पढ़ें या फिल्में देखें।

डर का सामना करें :

आप को जिस भी चीज़ या परिस्तिथि से डर लगता है उसका सामना करें। क्योंकि, ऐसा करने से वो डर आपके मन से पूरी तरह से निकल जाएगा।

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आगे का न सोचे :

मनुष्य तभी खुश रह सकता है जब वो आने वाले समय के बारे में नहीं बल्कि अपने वर्तमान के बारे में सोचें। अक्सर लोग अपने भविष्य को लेकर डरते हैं जैसे आगे वो सफल होंगे या नहीं, शादी होगी या नहीं, स्वस्थ रहेंगे या नहीं आदि। इस डर से बाहर निकलने के लिए अवश्य है कि आप अपने भविष्य की फ़िक्र करना छोड़ दें।

योग या ध्यान करें :

डर को दूर करने और खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका है योग करना और ध्यान लगाना। इससे आपको अन्य कई लाभ भी होंगे।

खुद पर विश्वास रखें :

अगर आप भगवान और खुद पर विश्वास रखते हैं तो आपको किसी से भी डरने की आवश्यकता नहीं है।

व्यस्त रहें :

अगर आप व्यस्त नहीं हैं या आपके पास खाली समय है, तो आप कई फ़ालतू चीज़ों के बारे में सोचेंगे और कई चीज़ें आपको डराएंगी। इसलिए हमेशा व्यस्त रहने की कोशिश करें।

डर लगने का इलाज

अंधेरे, भूत-प्रेत, ऊंचाई आदि से डर छोटी उम्र में हर बच्चे को होता है। लेकिन, अगर उम्र बढ़ने पर भी यह डर कम न हो तो यह चिंता का कारण हो सकता है। अगर इससे आपका परिवार, आपकी दिनचर्या और जीवन सभी प्रभावित हो रहे हैं तो डॉक्टर से राय लेना आवश्यक है। डर कोई रोग नहीं है लेकिन अगर यह डर अधिक बढ़ जाए तो उसे फोबिया कहा जाता है और इसका इलाज आवश्यक है। फोबिया के उपचार करने के लिए डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में जानेंगे जैसे घबराहट, दिल धड़कना, शरीर का कांपना, बोलने में समस्या आदि। फोबिया का इलाज दवाइयों और थेरपी की मदद से किया जा सकता है।




1) दवाईयां -

बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers) : बीटा ब्लॉकर्स का प्रयोग डर लगने पर होने वाली परेशानियों से राहत पाने के लिए किया जाता है।

एंटिडिप्रैसेंट्स : इन दवाइयों को भी फोबिया दूर करने के लिए रोगी को दिया जा सकता है ताकि वो अच्छा महसूस करें।

सीडेटिव : यह दवाईयां तनाव के लक्षणों को कम करने में प्रभावी हैं जो फोबिया के रोगी को हो सकता है। लेकिन, डॉक्टर की सलाह के बाद ही इन्हे लेना लाभकारी है।

2) थेरेपी -

फोबिया से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका है थेरेपी। यह थेरेपी भी दो तरह की होती हैं एक संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी) और दूसरी है डिसेंसिटाइजेशन (एक्सपोज़र थेरेपी)। इसमें संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है जिसमें रोगी को किस वजह से डर लगता है, यह जानकर उसका उपचार किया जाता है ताकि वो अपने डर का सामना कर सके। इसके साथ ही उन्हें सकारात्मक रहना भी सिखाया जाता है। डिसेंसिटाइजेशन में रोगी को डर का सामना कैसे करना है यह सिखाया जाता है। यह प्रक्रिया धीमी होती है।

3) आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सा -

आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सा भी फोबिया (डर) के लक्षणों को दूर करने में प्रभावी हैं। डर से सबसे सीधा प्रभाव रोगी के दिमाग पर पड़ता है, जिससे वो कई मानसिक बिमारियों का शिकार भी हो सकता है। ऐसे में इन समस्याओं को दूर करने में भी यह दवाईयां प्रभावी हैं। हालाँकि, चिकित्सक या विशेषज्ञ को सभी लक्षणों आदि के बारे में बताने और उनकी सलाह के बाद ही इन दवाइयों का सेवन करें। अपनी मर्जी से इन्हे लेने से बचे।

डर लगने के कारण :

  • डर का कारण जीवन के अनुभव, दिमागी केमिस्ट्री या अनुवांशिक या सभी का मेल हो सकता है।
  • छोटी उम्र में किसी चीज़ से डरना या कोई ऐसा अनुभव होना जिसके कारण आप पूरी उम्र उस चीज़ या अनुभव से भयभीत रहें।
  • यह आनुवंशिक भी हो सकता है जैसे अगर माँ को कॉकरोज से डर लगता है तो हो सकता है कि बच्चा भी उससे डरें।
  • लोगों के डर के बारे में जानने के लिए अभी अधिक अध्ययन किया जाना आवश्यक है क्योंकि इनके कारणों के बारे में सही से जानकारी नहीं है। 




सामान्य डर और फोबिया में अंतर :

डर एक भावनात्‍मक प्रतिक्रिया है जो किसी खतरे या आशंका के कारण हमारे मन में होती है। ये कोई बीमारी नहीं है सामान्‍य बात है।

लेकिन फोबिया, डर का खतरनाक और अगला स्तर है। फोबिया में डर बिना किसी वास्तविक कारण के होने लगता है और इतना ज्यादा होता है कि पीड़ित इसे खत्म करने के लिए अपने आप को नुकसान तक पहुंचा सकता है।

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3 comments

  1. Darvaje me akele band hone ke karan ke dar ko kya kahte hai ?
    Or uska ilaj

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    1. ऑटोफोबिया या मोनोफोबिया, अकेले होने का डर है।
      ऑटोफोबिया के लिए, आपका चिकित्सक आपको कुछ थेरेपी और मेडिसिन देंगे.

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  2. Agar koi vyakti abhi jivit hai or uske Jane ka dar ho toh usko kya kahenge

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